हिन्दी ब्लॉगिंग के विशाल संसार में मेरा छोटा सा छापाखाना
आतंकवाद की दुनिया अंधेरी हो गई है : दैनिक हिन्दी मिलाप 5 मई 2011 के अंक में पढि़ए
और दुनिया को लगता है
अंधेरे से डर
डरने वाला तो मरने से भी
डरता है
क्या करेगा
तख्ते-जि़गर
(जिसका जि़गर तख्त की तरह सख्त हो)
अंधेरे में तो
वो तख्त भी
टूट टूट जाएगा।
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ऐसी कोई मंशा नहीं है कि आपकी क्रियाए-प्रतिक्रियाएं न मिलें परंतु न मालूम कैसे शब्द पुष्टिकरण word verification सक्रिय रह गया। दोष मेरा है लेकिन अब शब्द पुष्टिकरण को निष्क्रिय कर दिया है। टिप्पणी में सच और बेबाक कहने के लिए सबका सदैव स्वागत है।
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