बात चौंकने की नहीं
कुत्तों के भौंकने की है
आप सही पढ़ रहे हैं
जो लिखा है वही
अविनाश वाचस्पति को
नाम के आगे मुन्नाभाई
चस्पां करने का दोषी
पाया गया है अतएव
हिंदी ब्लॉग जगत समुदाय
ने सजाए फांसी का फैसला
मुकर्रर किया है
जिस किसी को
हो आपत्ति
वह अपनी गर्दन
भी पेश करे
वरना यूं ही तर्क
कुतर्क पेश करके
समय और जाया करे।
कुत्तों के भौंकने की है
आप सही पढ़ रहे हैं
जो लिखा है वही
अविनाश वाचस्पति को
नाम के आगे मुन्नाभाई
चस्पां करने का दोषी
पाया गया है अतएव
हिंदी ब्लॉग जगत समुदाय
ने सजाए फांसी का फैसला
मुकर्रर किया है
जिस किसी को
हो आपत्ति
वह अपनी गर्दन
भी पेश करे
वरना यूं ही तर्क
कुतर्क पेश करके
समय और जाया करे।
ओह! कैसी कैसी बातें हो जाती हैं ब्लॉग जगत में ......
जवाब देंहटाएंआपत्ति है पैसे नहीं मिल रहे हैं इस टिप्पणी के 5000 और जोड़ लेना 20000 हो गये । वैसे जल्लाद भाई जी का नाम पता हो जाता तो अच्छा नहीं रहता क्या ? गर्दन चाहिये तो बता देना कौन से कोरियर से भेज दूँ ?
जवाब देंहटाएंतेताला पर करना चाह रहा था टिप्पणी 5000 का नुकसान हो गया मेरे को । खुल ही नहीं रहा है।तेताला ताली बजा कर http://neocounter.neoworx-blog-tools.net/ पर भेज दे रहा है ।
जवाब देंहटाएं।
तुमने किसी को मीठा खाकर मरते हुए देखा है - मधुमेह दिवस पर विशेष कविता अविनाश वाचस्पति
जवाब देंहटाएं>> गुरुवार, 13 नवंबर 2014
तुमने किसी को
मीठा खाकर
मरते हुए
देखा है
देखो वह
डरकर
मीठे से
कर रहा है
परहेज
खा रहा है मीठा
रात को फ्रिज
खोलकर
फिर भी है
जिंदा
इै इसी धरती
का बाशिन्दा
नहीं खा रहा है मीठा
इसलिए मीठी चीजों की
देख लो जान जा रही है
हलवाई डर रहा है
सोच रहा है खोलूं
नमकीन की दुकान
पर नमकीन पकवान
कौन खाएगा मेहरबान
नमकीन खाकर भी
तेल से उसकी जान
जा रही है
बचा लो उसे
जिस पर हो रही है
मधु की बरसात
गंदे तेलों से मुलाकात
जिसने मरना है
उसे बचा नहीं सकता
न भगवान
न चमराज
तुमने किसी को
मीठा खाकर
मरते हुए देखा है
देख लो
खा रहा हूं रोज
मीठा
चाहे दिन हो या रात
फिर भी हूं जिंदा
इस धरती का बाशिन्दा
मीठा इस बात पर
हो रहा है शर्मिन्दा।
बहुत उम्दा...
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