गरीबी की पहचान : दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स 5 फरवरी 2013 के उलटबांसी स्‍तंभ में प्रकाशित


गरीब की नई परिभाषा योजना आयोग की एक विशेषज्ञ समिति के बतलाने के बाद से देशभर में गरीब होने के लिए होड़ मच गई है। नतीजाअब लोग करोड़पति नहीं,गरीब होने के लिए बेताब हैं। आज गरीब वह है जिसका नाम गरीब’ हैकिंतु गरीबदासगरीब नहीं है। अमीर होने के खूब सारे दुख हैंगरीब होने के इस भारत देश में तमाम सुख हैं। गरीब का दासगरीब नहींगारंटिड अमीर है। अमीरदास गरीब हो सकता है। पर गरीब का दास गरीब ही रहेगा।
गरीबी में पहले शून्‍य की भरमार हुआ करती थीजिससे उसे चीन्‍हने में बहुत आसानी होती थी।  गरीब कौन हैयह बहस इतनी जोरों पर हैजिसके मुकाबले पीएम की कुर्सी पर कब्‍जाने की होड़ धीमी पड़ गई है। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि जो इंकम टैक्‍स नहीं चुका पा रहा है या चुकाने से बचने की जुगत में लगा रहता है,वह गरीब मान लिया गया है। जो दाल रोटी नहीं जुगाड़ पा रहागरीब वह नहीं,बल्कि वह है जो पिज्‍जाबर्गरहॉट डॉग नहीं खा रहा है। सब गरीब होना चाहते हैं,गरीब को ही बिना रुपये खर्च किए चूल्‍हा और गैस सिलैंडर सरकार बांट रही है। बांटने वालों ने लाइन लगा रखी है जबकि लेने वाले नदारद हैं।
मोबाइल होना अमीरी की पहचान है किंतु मिस काल करना गरीबी की नई पहचान है। गरीबी नियोजित और सुनियोजित होने लगी है। जिसकी गरीबी प्रायोजित हो जाती है,वह समझ लेता है कि अब वह असली गरीब हो गया है। गरीबी एक महिला हैवह महिला होते हुए भी सुरक्षित नहीं है। बस में बैठकर भी वह असुरक्षित इसलिए है क्‍योंकि बस में पुरुष है।
आपके पड़ोसी के पास एसीकारवाशिंग मशीनफ्रिज है तो आप अमीर हैं। अमीर के पड़ोस में अमीर ही रह सकता हैगरीब कैसे रहेगा। जबकि देश में डेमोक्रेसी है,इस क्रेसी के जितने डेमो हैंसब क्रेजी हो गए हैंयह संगत का ताजा असर है।  देश के सभी हाईवे रोड खूब अमीर हैंउन पर कारट्रकबस दौड़ते हैं और सारे टैक्‍स चुकाते  हैं।  सारा टैक्‍स सड़क के बैंक एकाउंट में जमा होता है जिसका थोड़ा अंश वसूलने वाले अपनी जेबों में भी डाल लेते हैं। इससे खास फर्क सरकारी महकमों को नहीं पड़ता।
योजना आयोग की इस विशेषज्ञ समिति ने भिखारियोंकबाडि़योंमालीस्‍वीपर और मजदूरों को भी गरीब माना है। इससे सड़कों पर भिखारियोंकालोनियों में कबाडि़यों,पार्कों में मालियों और सड़कों पर सफाईकर्मियों की संख्‍या में रिकार्ड तेजी आई है,इस तेजी को गिन्‍नीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में शामिल करवाने की कवायद चल रही है। हाथ से कपड़े धोने वालामोबाइल फोन में बेलेंस नहीं हैइसलिए चिल्‍लाकर बात करने वाला गरीब है। जो देश की संसद के दर्शन नहीं कर पा रहा हैवह भी गरीब है। यह जानकर संसद के पास इकट्ठी भीड़ एकदम से छंट गई हैआंसू गैस भी नहीं छोड़नी पड़ी हैपुलिस भी डंडे चलाकर बदनाम होने से बच गई है।

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