नववर्ष पर 'ठीक है' : दैनिक हरिभूमि 2 जनवरी 2013 में प्रकाशित व्‍यंग्‍य



हजारीलाल हज्‍जाम रोजाना की तरह मेरी हजामत बना रहा है। ठीक उसी समय टीवी पर पीएम का पैगाम ‘ठीक है’ प्रसारित हुआ और उससे ठीक पहले संसद में आवाज आई  – ‘इमरजेंसी जैसे हालात’ और संसद गुलजार हो गई।
हजारीलाल कह रहा है ‘एक प्रख्‍यात फिल्‍मी गीत में कितने ही सवालों के जवाब में अभिनेत्री ‘हां हां’ कह फुदक रही है’, तभी बीच में अभिनेता राजेश खन्‍ना पूछते हैं तुमको मुझसे प्‍यार है’ और अभिनेत्री शर्मिला ‘हां है’ कहकर सार्वजनिक रूप से हामी भर देती है लेकिन फिर कहती है ‘न न न .....’ लेकिन ‘काका’ की खुशी फेस पर झलक दिखला रही है। वैसी ही खुशी आज पीएम और सोनिया जी के चेहरों पर नमूदार है। सबने महसूस किया कि पीएम देश को संबोधित करने के बाद सोनिया से पूछ रहे हैं ठीक है ?

मैं हजारी से कहता हूं ‘अभिनेत्री प्‍यार में जैसे इतरा रही है वैसे ही हमारे पीएम। न्‍यू मीडिया पर पीएम के ठीक हैबीते बरस की घटना, इस साल तक खिंची आई है।  बहरहाल,  पब्लिक जो खास है या आम सबने  रट लिया है। एक सर्वेक्षण बतला रहा है,  ठीक हैका प्रयोग उनके बाद 77 लाख 36 हजार और 5 सौ 53 बार किया गया और नववर्ष पर तीव्रगति से इजाफा हो रहा है।
हज्‍जाम कह रहा है ‘सब गलत है किंतु उसे भी ठीक हैका प्रमाण देने से, आशय ठीक नहीं हैनिकल कर आ रहा है।‘ तस्‍दीक करता हूं ‘शब्‍द किस तेजी से अपना अर्थ बदल किस प्रकार हमारी  जिंदगी में रच बस जाते हैं, यह मिसाल  इसका सबसे जीवंत प्रमाण। मेरे बोलने से नाई का उस्‍तरा मेरे गाल पर चुटकी लेता है और खून की बूंद छलछला आती है। ‘ठीक है’ पूरा गाल नहीं कटा, मैं संतोष जाहिर करता हूं।  हजारी यह कहकर मेरे अल्‍पज्ञान को विस्‍तृत करता है ‘इससे पहले विज्ञापन के संसार के जादू भरे वाक्‍य जनमानस में गहरी पैठ बनाते रहे हैं यथा टेढ़ा है पर मेरा है’, ‘ तेरी कमीज मेरी कमीज से सफेद कैसे’, ‘ ठंडा मतलब कोका कोला। नाई ने गालों के साथ ही मेरे मनमानस पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
हजारी रहस्‍य खोलता है कि ठीक नहीं हैउसे पुलिस से कहकर ठीक हैकरवाया जाता है, देश के सीएम अथवा पीएम के लिए यह कतई मुश्किल नहीं है। अचरज होता है जब सरकार को लगे हाथठीक हैका तमगा देकर सम्‍मानित किया जाता है। पुलिस ठीक नहीं हैफिर भी ठोक कर ठीक करने में माहिर है। देश में गुंडे, बलात्‍कारियों का होना ठीक हैठहरा दिया गया है। भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त देश और काले धन को ले जाने वाले वेभी ठीक हैहो गए हैं।
ठीक है के गहराते असर पर शोध जारी है कि  ठीक नहीं है,  ‘ठीक हैमें तब्‍दील हो गया है। साधारण दो शब्‍दों ने भरपूर तंज समेट लिया है। व्‍यंग्‍यकार इसके पीछे पड़ गए हैं।  हजामत पूरी बनने पर चलते-चलते हजारीलाल से पूछ लेता हूं  ठीक हैऔर वह आदतन ‘ठीक है’ कहता है। मैं स्‍वयं को सर्वोत्‍तम व्‍यंग्‍यकार मानने के मुगालते में डूबने-उतराने लगा हूं। 

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