सभी सांसद चोर उचक्‍के नहीं हैं : हरिभूमि 10 मई 2012 अंक में प्रकाशित


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सभी सांसद चोर उचक्‍के नहीं हैं और मैंने सबको चोर उचक्‍का  कहा भी नहीं है। मीडिया ने हंगामा मचा दिया जिससे सारे सांसद नाराज हो गए। वैसे भी यह तो साफ जाहिर है कि जब सारे बलात्‍कारी नहीं हो सकते तो सारे चोर उचक्‍के कैसे हो सकते हैं। उसी प्रकार सारे बाबा किरपा नहीं बरसाते। कुछ की किरपा तो सदा खुद पर ही बरसती रहती है। देखने वाला सोचता रहता है कि किरपा उस पर बरस रही है जबकि बरस व लौटकर बरसाने वाले पर ही रही होती है। इसी प्रकार सारे साधु, स्‍वादु नहीं कहे जा सकते, एक प्रकार से कहा भी जा सकता है क्‍योंकि सभी साधुओं को चरस, गांजे, भंग में स्‍वाद नहीं आता है जबकि कुछ तो इनके बिना स्‍वाद नहीं आता है। जिनको इनमें स्‍वाद नहीं आता है वह आपको गुटका, पान, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने देखे जा सकते हैं। ऐसा भी नहीं है कि साधु हैं तो दारू का स्‍वाद नहीं लेंगे। आखिर आनंद की प्राप्ति के लिए साधु चोला धारण किया है और उस चोले में भी मजा नहीं पाया तो किस बात के साधु मतलब स्‍वादु। कितने ही साधुओं को तो भीख मांगने में असीम आनंद आता है। अब अगर उनकी पोल खोली जा रही है तो किसी सांसद को एतराज नहीं है। सांसदों की सच्‍चाई के बारे में जब भी जनता को बतलाने की कोशिश की जाती है तो वह ऐसे हाय तौबा मचाने लगते हैं, मानो दूध पीते बच्‍चे हों और उनके दूध के दांत अभी टूटे नहीं हों। जबकि उनके दूध तो दांत छोडि़ए, चाय के दांत भी नहीं बचे हैं और अब उनके सभी दांत दारू के दांत बनकर आवाम के सामने बहुत ही दुर्गंधयुक्‍त बेशर्मी से खिलखिला रहे हैं। इस पर किसी को तनिक भी एतराज नहीं है।
फिर सभी सांसदों की गारंटी क्‍यों ली जा रही है, एक को कुछ कहा जाता है, तो मोहल्‍ले के कुत्‍तों के माफिक सब समवेत स्‍वर में गीत गाना शुरू कर देते हैं, बिना यह जाने कि इस प्रकार के गीतों की असलियत से अब जनता पूरी तरह वाकिफ हो चुकी है।
मैं मानता हूं कि मेरे से भूल हो गई है लेकिन अगली दफा मैं इस प्रकार की गलती नहीं करूंगा। मैं भी कोई भगवान तो हूं नहीं, हूं तो आपकी तरह इंसान ही, इंसान से गुरु ही तो बन रहा हूं, गुरुघंटाल तो नहीं बनना चाह रहा हूं। भविष्‍य में सांसदों को चोर-उच्‍क्‍का नहीं कहूंगा बल्कि यह बयान दूंगा कि सभी सांसद चोर उचक्‍के नहीं हैं, तब तो आपमें से किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी न।
अब तो ऐसा महसूस होने लगा है कि हम साधुओं को भी नेताई गुणों का विकास करना होगा। वरना शातिर नेता हमें कहां सामान्‍य वस्‍त्रों में जीने देंगे और हमें बार बार इनसे बचकर लेडीज सूट, साड़ी, सलवार, जींस, टॉप इत्‍यादि पहनकर ही अपनी जान बचानी होगी। वैसे भी मीडिया तो चाहता है कि हम वस्‍त्रविहीन हो जाएं और वह सारी दुनिया को दिखलाकर कमाई करता रहे। क्‍या अब भी सांसदों को मेरे से कोई शिकायत है, मैं अपनी गलती मानते हुए फिर से कह रहा हूं कि कि सभी सांसद चोर-उचक्‍के नहीं हैं ?

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