पानी बजा रहा पब्लिक की टूंग-टूंग : दैनिक हरिभूमि 23 जून 2012 में प्रकाशित


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दिल्‍ली की पब्लिक को पानी परेशानी के मसले पर सी एम ने, न जाने किस लेटेस्‍ट तकनीक का उपयोग करने के विचार का पानी बहा दिया है कि सब उसके कल्‍पना लोक में भीग-भीग भीषण गर्मी से राहत पाने में बिजी हो गए हैं। सबको सी एम के इस बयान पर पूरा यकीन हो गया है कि अब प्रत्‍येक दिल्‍लीवासी को डेढ़ घंटे पानी की आपर्ति सुनिश्चित की जा रही है। मासूम दिल्‍लीवासी यह सोच नहीं पा रहे हैं कि जैसे नेता वायदों की फसल उगाते हैं, उसी प्रकार आजकल सी एम पानी बहा रही हैं। इस बहते पानी की मंजिल इससे पैदा होने वाले वोट हैं जिन पर इनकी नजर टिकी हुई है।
मालूम नहीं चल रहा है कि उन्‍होंने कहां से लाकर यह तुर्रा छोड़ दिया है जिसकी टूंग टूंग लाउड बज रही है। टूंग टूंग बजे टूंग टूंग – वोट खींच मृदंग की तरह दंग कर रही है। सब जानते हैं कि वे हाल-फिलहाल विदेश तो छोडि़ए, हरियाणा भी होकर नहीं आई हैं क्‍योंकि वे हरियाणा के सी एम को फोन मिलाने में बिजी हैं और सी एम फोन न उठाने में बिजी हैं। न मालूम सी एम इतनी कोशिश और क्‍यों नहीं कर लेतीं कि अन्‍य किसी के नंबर से फोन करके उनसे बात कर लेतीं। पर वे ऐसा करतीं तब तक दो-चार दिन के गैप के बाद हरियाणवी सी एम ने उनसे फोन पर बात करके उन्‍हें टरका दिया है। बिल्‍कुल उसी तरह जिस तरह वोट पाने के लिए नेता पब्लिक को फुसलाते और वोट पाने के बाद टरकाते रहे हैं। सी एम ने खिसियाकर फोन बंद किया और एक बयान जारी कर दिया कि अब से दिल्‍लीवासियों को लगातार डेढ़ घंटे पानी की नियमित आपूर्ति की जाएगी। हरियाणा के सी एम इस घोषणा से तनिक भी चकित नहीं हुए क्‍योंकि वे अपने सत्‍ता में रहने वाले बंधु- बांधवों और बांधवियों के इस प्रकार के कारनामों से इत्‍तेफाक रखते हैं, अच्‍छी तरह जानते हैं कि यह उन्‍हें चिड़ाने के लिए पब्लिक को वायदों का एक पपलू और थमाना है।
आज पानी प्रत्‍येक प्रदेश में इतना कम हो गया है कि इसमें डूबकर मरने वाले नेता वेटिंग में हैं। पानी आए तो उसमें डूब मरें। लोटा भर न सही परंतु चुल्‍लू भर तो मिले। दिल्‍ली में डेढ़ घंटे का मतलब 90 मिनिट पूरा, न 89 मिनिट और न 91 मिनिट। एकदम चुस्‍त दुरुस्‍त सटीक व्‍यवस्‍था, किसी को शक करने की गुंजायश नहीं। अब सबको भरोसा करना होगा। दिल्‍ली के प्रत्‍येक परिवार के मुखिया के शरीर पर एक-एक डिटिजल मीटर विद जीपीआरएस सुविधा के साथ फिक्‍स कर दिया जाएगा, जैसे आजकल वाहनों में नंबर प्‍लेट लगाई जा रही हैं, जिन्‍हें न तो निकाला जा सकता है और न नंबर में कोई बेईमानी ही की जा सकती है। ऐसा भी नहीं होगा कि सप्‍ताह भर का पानी एक दिन में इकट्ठा यानी साढ़े दस घंटे लगातार दिया जाए। ऐसी एडजस्‍टमेंट व्‍यवस्‍थाएं सरकारी योजनाओं को पानी पिला देती हैं या उसमें डूबकर मरने को मजबूर कर देती हैं, इसलिए इसमें किसी किस्‍म की कोताही नहीं बरती जाएगी। पानी के लिए होने वाले धरने-प्रदर्शन बीते जमाने की यादें हो जाएंगी क्‍योंकि जो मुंह खोलेगा, उसको उसके मीटर की ज्‍योग्राफी सरकारी कंप्‍यूटर में दिखला दी जाएगी और एक प्रिंट सिर्फ पचास रुपये के भुगतान पर मुहैया करवा दिया जाएगा।
वैसे विचारणीय मुद्दा यह है कि जिन्‍हें पानी बहाने की लत लग चुकी है, वे पानी ही बहाते हैं, उनके दिमाग में इससे इतर या उतर कोई बहाने नहीं बह पाते हैं। आप यह जानकर हैरान-परेशान मत होइएगा कि सरकार अब शराब में पानी मिलाने पर भी अतिरिक्‍त टैक्‍स लगाने की जुगाड़ में है। इस टैक्‍स से बचने के लिए कोल्‍ड ड्रिंक्‍स, सोडा वगैरह मिलाने पर छूट की घोषणा की जा सकती है। अब सरकारी टाइमिंग मीटर सब सच सच खोलकर पब्लिक के झूठ की पोल खोल देगा। इससे यह सीख मिलती है कि पानी परेशानी के मसले को बहुत प्‍यार से हैंडल करना चाहिए अन्‍यथा ऐसे जोखिम वाले वाले मामले आपका भविष्‍य ‘डल’ कर सकते हैं।  

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