आसाराम से भगवन की गुपचुप गुफ्तगू


1 टिप्पणी:

  1. खेद है की अख़बार की कतरन पढने में ही नहीं आती,क्या पढ़ें क्या कमेंट करेगा कोई.

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ऐसी कोई मंशा नहीं है कि आपकी क्रियाए-प्रतिक्रियाएं न मिलें परंतु न मालूम कैसे शब्‍द पुष्टिकरण word verification सक्रिय रह गया। दोष मेरा है लेकिन अब शब्‍द पुष्टिकरण को निष्क्रिय कर दिया है। टिप्‍पणी में सच और बेबाक कहने के लिए सबका सदैव स्‍वागत है।