पढ़ने में कठिनाई हो तो आसानी पेश है।
फेसबुक, जिसका न सच्चा फेस है और न जो किसी तरह से अच्छी बुक है। फेस चालाकी से घिरा हुआ है,जानकारी अधिकतर झूठी है। ऐसा लगता है कि शिकारियों के लिए एक जाल बना दिया है, जिसमें आपने एक झूठा और आकर्षक चेहरा चस्पां करना है,लुभाने वाली जानकारी भरनी है। कहीं कोई ऐसी अनिवार्यता नहीं है कि आपने ठीक जानकारी नहीं दी तो आप फेसबुक पर सक्रिय नहीं हो पायेंगे या खाता नहीं बना पायेंगे। शुरू से अंत तक झूठ का आडंबर। कोई भी हैं आप, कितनी भी उम्र है, स्त्री या पुरुष होना भी मायने नहीं रखता – आप फेसबुक के जरिए पूरे अंतर्जाल जगत पर अपना जाल फेंक कर उसमें फांसने के लिए स्वतंत्र हैं। फेसबुक को आधुनिक तिलिस्म कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। जिस प्रकार अच्छाईयों के प्रचार और प्रसार के खूब सारी मेहनत करनी होती है, तब कहीं थोड़ी बहुत अच्छाई किसी को पसंद आती है जबकि इसके उलट बुराईयों को फैलाने के लिए किसी प्रकार की मेहनत की जरूरत नहीं होती। इसका मोहपाश बहुत शक्तिशाली होता है। यह बिना फैलाए पूरी तरह फैल जाती है और इतना फैलती है कि किसी के समेटने में नहीं आती और अच्छाई को डुबाकर मारने के लिए इसे लुढ़काने में योगदान करता रहता है।
मैंने बतलाया है कि इसमें कोई बाध्यता नहीं है कि आप इसमें अपना असली फेस ही लगाएं। आप किसी भी चित्र, किसी भी नाम, किसी भी उम्र और किसी भी ई मेल पते से इसे शुरू कर सकते हैं और इसे अपने झूठ से लबालब कर सकते हैं। फिर बुक तो यह है ही नहीं,बुक मतलब आप उसमें मौजूद किसी भी जानकारी को क्रम में पेज नंबर देखकर तुरंत निकाल सकें। जबकि यहां पर एक गहरा अंधा कुंआ है, जिसमें आपने स्वयं जानकारी डाली है, उसे आप भी दोबारा से देख पाएंगे,संभव नहीं है। फिर यह पुस्तक (बुक) कहां से हुई जो उसतक भी नहीं पहुंच सकती, जिसने उसकी रचना की है।
न फेस, न बुक फिर भी कहलाती है फेसबुक। इसे फेकबुक बनने से बचाना होगा और यह जिम्मेदारी इसका उपयोग करने वाले मित्रो की है। वैसे यह फेमबुक भी है। आप इसके जरिए न जाने किस किससे जुड़ते चले जाते हैं। अभी तो इसमें कुछ सीमाएं हैं, पर वह भी इतनी कारगर नहीं हैं। 5000 मित्रों से अधिक आप अपने मित्र नहीं बना सकते। पर कितने हैं जो 5000 मित्र बना पाते हैं। फिर उन सबसे संपर्क रखना, साधना बहुत कठिन है। किससे कब क्या झूठ बोला है, इसका ब्यौरा रखना और यह सब कार्य आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय में से जबरन निकालकर, अनिवार्य कार्यों को इग्नोर करके करते हैं और करते ही रहते हैं। सच्ची जिंदगी से भी अधिक मजा देती है यह झूठी जिंदगी।
फेसबुक पर संवाद आपको खूब आनंद देता है और प्रत्येक झूठ आनंदित करता है। यह झूठ की कामयाबी की पहली शर्त है। दूसरी शर्त इसके मोहपाश में ऐसा सम्मोहन है कि जो इसमें एक बार उलझ गया सो बाहर नहीं निकल पाता और इसी का नशा दिमाग पर काबिज हो जाता है और देह बंधक हो जाती है। ऊंगलियां कीबोर्ड पर नर्तन करती रहती हैं। पर थकावट की कौन कहे,ऐसे ऐसे फेसबुक के नशेड़ी हैं कि चौबीसों घंटे सक्रिय रहते हैं। खाना-पीना तो साथ में चलता रहता है और जरूरी कार्य भी यदि संभव होता तो यहीं पर निपटा लिए जाते। मोबाइल पर यह सुविधा मिलने से फेसबुक ने लगभग प्रत्येक मोबाइलधारक को अपना गुलाम बना लिया है। जरा ध्यान हटा तो कोई काम कर लिया वरना तो वापिस चले फेसबुक पर सवारी करने। कल्पनाओं के घोड़े की उड़ान भरने।
आपको अभी तक मैं फेसबुक की खामियां ही गिनाता रहा हूं और खामियां हैं भी इतनी सारी कि एक पूरा ग्रंथ ही इस पर तैयार हो सकता है। इसके कड़वे अनुभवों को लेकर एक और पुस्तक संपादित की जा सकती है। सिर्फ एक ही क्यों अनेक। फिर भी ऐसे इंसानों की कमी नहीं है जो इस पर मर्यादित रूप में विवेक के साथ सक्रिय हैं। जिन्होंने अपने मानस में फेसबुक की गुलामी स्वीकार नहीं की है। इस द्रुतगतिअश्व को अपने मानस की विवेकगति के द्वारा संचालित करते हैं।
जो फेसबुक से परिचित हैं, वे ब्लॉगों और ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया की भी जानकारी रखते होंगे। ऐसा मैं मानकर चल रहा हूं बल्कि सच्चाई यह है कि ब्लॉगों से बहुत सारे ब्लॉगरों ने कूद कूद कर फेसबुक पर अपने ठिकाने बना लिए हैं या यहां पर खूब कमाई की जा रही होती तो दुकानें सज गई होतीं। इन ठिकानों पर चाक चौबंद रहने में ब्लॉगरों को मजा आने लगा है। इस बार लॉगिन कर लिया तो फिर तो बस अपने विचार उंडेलते रहो, विचार न हों तो दूसरे के विचारों को पसंद करते रहो। अपना विचार दिया है तो उस पर अन्यों की प्रतिक्रियाएं पढ़कर मुग्ध होते रहो। गिनते रहो कि कितनों ने उसे लाइक किया है क्योंकि नापसंदगी का कोई विकल्प ही नहीं है, नापसंदगी का कोई जोखिम नहीं है लेकिन पसंद करने वालों की संख्या में कैसे इजाफा करने में सब डटे रहते हैं। अपने मूल विचार न हों तो दूसरों के विचार अपने नाम से पेश करते रहो और वाह वाही लूटते रहो। कोई पुलिस नहीं है, कोई सजा नहीं है – हर ओर बस आनंद ही आनंद है। चोरों में गिनती न चाहो तो शेयर करने का विकल्प है।
फेसबुक के आने के बाद ब्लॉगिंग और ब्लॉगरों को खतरा हुआ था लेकिन जिन्हें खतरा लगा था, वे सब खुद ही इस कुंए में कूद पड़े हैं लेकिन मेंढक बनने के लिए नहीं और मेंढक बनने के लिए ही। जो एक बार इसमें कूद जाता है, बहुत कठिनाई से बाहर आ पाता है। इसका आभासी जादू ही है ऐसा। जितना ब्लॉगिंग ने नहीं लुभाया, उससे अधिक फेसबुक ने अपने जंजाल में फंसाया है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि ब्लॉगिंग के बल पर आज तक शेयर बाजार में एन्ट्री करने की सोची तक नहीं गई है और उधर फेसबुक ने अपने शेयर बाजार में उतार दिए हैं और सब इसे लेने को लालायित हैं, लेकिन कैसे हासिल करें। कम से कम आवेदन 1000 शेयर और जिनका आवेदित मूल्य है 18 से 20 लाख रुपये। उस पर भी मिलें न मिलें परंतु इतने लाख ही कहां से मिलें, अगर यह आंकड़ा ठीक है और मेरी स्मृति साथ दे रही है। यह राशि कुछ अधिक भी हो सकती है लेकिन कम नहीं।
फिर भी यह कहना चाहूंगा कि फेसबुक का सार्थक उपयोग करने वाले बहुत सारे अनुभवी मैदान में मौजूद हैं। वह इसके आने से बौरा नहीं गए हैं क्योंकि वे जानते हैं इस बौर का आना मीठे रसीले आमों के आगमन की सूचना नहीं है। फिर भी वे इसे सुख में बदलने में जुटे हुए हैं और रोज सफल हो रहे हैं। बिना स्वयं को नुकसान पहुंचाए और न ही किसी अन्य को हानि पहुंचा रहे हैं। यह फेसबुक ही है जिसने समान रुचि के व्यक्तित्वों को इकट्ठा किया है लेकिन जज्बा होना चाहिए कुछ अच्छा करने का, तभी सफलता मिलेगी। यह वही विज्ञान है जो आग की खोज से शुरू हुआ था, वही पेट्रोल है, जिसका सदुपयोग नई नई राहें खोलता है और दुरुपयोग सब कुछ स्वाहा कर देता है।
मैं मानता हूं कि फेसबुक समाज को विकास की ओर गति देने में खूब ताकतवर सिद्ध हो रही है। सरकारें इससे खौफज़दा हैं लेकिन इस ताकत के सिर को कुचलने को लेकर पूरी तरह सावधान रहना होगा। मेरा मानना है कि अच्छे अच्छे लोगों का, मित्रों का चयन करके आगे बढ़ते जाइए फिर चाहे फेसबुक हो या हिंदी ब्लॉग हों या अभिव्यक्ति का कोई भी नया मीडिया हो,उससे जीवन सुंदर ही बनेगा, सार्थक रचने की अनूठी चाह विकसित होगी और इसी सोच में बुराईयों से स्वत: ही बचाव भी निहित है।
फेसबुक या फेकबुक ,,,,,,,,,,,,,,,,सुंदर लड़कियों के फोटो कॉपी करके फेस बुक पर बनाई जा रही फेक आई डीज कभी भी बन सकती हैं देश की सुरक्षा के लिए खतरा 'दीपक गर्ग ' ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन दिनों फेसबुक पर सुंदर लड़कियों के जाली फोटो या कोई भी फोटो लगा कर फेक आई डी बनाने का सिलसिला जारी है, कोई भी किसी वेबसाइट से देसी, विदेशी, पडोसी देशों से संबधित, टीवी की कम जानी हुई अभिनेत्रियो, मोडेलों, लड़कियों के तथा कम जानी पहचानी अभिनेत्रिओं के फोटो कॉपी करके उस फोटो या किसी भी फोटो का इस्तेमाल करके फेक आई डी बना लेता है .यह आई डी कभी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं, ऐसी आई डीज से अफगाहों को फ़ैलाने का काम आसान हो जाता है .ज़्यादातर फेक आई डीज कुछ पडोसी देशों से संचालित की जा रही हैं , इन आई डीज का इस्तेमाल कुछ विशेष धर्मों के पर्चार के लिए किया जा रहा है .अपने देश में भी बहुत सी लड़कियां अपनी असली आई डी पर किसी और की फोटो लगा कर लोगों को बेवकूफ बना रही हैं ,यहाँ तक लड़कियों की कुछ आई डीज तो लड़कों ने मज़ा लेने के लिए कहीं से भी सुंदर लड़की की फोटो चुरा कर बना रखी हैं क़ानून के अनुसार ऐसी आई डी बनाना अपराध की श्रेणी में आता है ,दक्षिण भारत की कुछ अभिनेत्रिओं फोटो लगी हुई कुछ फेक आई डीज फेसबुक पर मौजूद हैं हिंदी भाषी लोगों को इन अभीनेत्रिओं की पहचान नहीं है इस लिए ज़्यादातर लोग आसानी से बेबकूफ बन जाते हैं, ऐसी फेक आई डीज की पहचान गूगल इमेज सर्च द्वारा आसानी से पहचान की जा सकती है ,आप को अगर शक हो कि आई डी फेक हो सकती है तो आप गूगल इमेज सर्च पर तस्वीर का यूआरएल पेस्ट करके सर्च करेंगे तो नतीजे आपके सामने आ जायेंगे ,आपको पता चल जायेगा कि फोटो किस वेबसाइट से उड़ाई गयी है. पडोसी देशों से संभधित ज़्यादातर आई डीज फेक हैं. यह लड़कीयां आसानी से किसी की भी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती हैं फिर उसे फेसबुक ग्रुप के मेम्बर बनाने लगती है , यह ग्रुप किसी ख़ास प्रचार के लिए बनाये गए होते हैं इस तरीके से अफ्गाहें फ़ैलाने आसान होता है. ऐसी बहुत सी आई डीज हमारे अपने देश से भी विभिन्न लोग संचालित कर रहे हैं. हाल ही में जो पंजाब के हालात संवेदनशील बने हैं उनके पीछे भी सोशल मीडिया और फेसबुक के दुरपयोग की बाते सामने आ रही हैं कुछ लोग तो इतने शातिर हैं कि उन्होंने राजनैतिक नेताओं की भी फेक आई.डी.बना रखी है चंडीगढ़ से संबद्धित एक ऑनलाइन प्रसाद बेचने वाली नई कम्पनी ने कुछ समय पहले तिष्ठा बांसल नाम से फेक आई.डी बना रखी थी लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए फेक तस्वीर लगा दी , बाद में यह फेक आई.डी. तो फेस बुक से गायब हो गई लेकिन यह तस्वीर फेसबुक और कुछ अन्य साइट्स पर आज भी नए नए नामों से उपलब्द्ध है. सुखबीर बादल की एक नकली लग रही फेसबुक आई.डी के सम्बंद्ध में उन्हें भी ईमेल किया गया है। इस संबंध में फेसबुक यूजर बीजेपी फरीदकोट के जिला मीडिया कन्वीनर दीपक गर्ग ने जानकारी देते हुए कहा है कि भारत सरकार को इस बात को गंभीरता से लेते हुए इस सम्बन्ध में उचित कदम उठाने चाहिए. भारत के देवी देवताओं के नाम पर बनी हुई बहुत सी फेक आई डीज भी फेस बुक पर मौजूद हैं. कुछ वी आई पी लोगों की तो कई कई आई डीज फेसबुक पर मौजूद हैं के कोई तै नहीं कर पा रहा है कि इसमें से असली आई डी कौन सी है। श्री गर्ग ने 28 अक्टूबर को भारत आ रहे फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से भी निवेदन किया है कि फेसबुक को फेक बुक बनने से रोकने के लिए विशेष कदम उठाये जाएँ साथ ही फेसबुक पर बनी हुई सभी फेक आई डीज को हटाया जाये
जवाब देंहटाएंफेसबुक या फेकबुक ,,,,,,,,,,,,,,,,सुंदर लड़कियों के फोटो कॉपी करके फेस बुक पर बनाई जा रही फेक आई डीज कभी भी बन सकती हैं देश की सुरक्षा के लिए खतरा 'दीपक गर्ग ' ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इन दिनों फेसबुक पर सुंदर लड़कियों के जाली फोटो या कोई भी फोटो लगा कर फेक आई डी बनाने का सिलसिला जारी है, कोई भी किसी वेबसाइट से देसी, विदेशी, पडोसी देशों से संबधित, टीवी की कम जानी हुई अभिनेत्रियो, मोडेलों, लड़कियों के तथा कम जानी पहचानी अभिनेत्रिओं के फोटो कॉपी करके उस फोटो या किसी भी फोटो का इस्तेमाल करके फेक आई डी बना लेता है .यह आई डी कभी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं, ऐसी आई डीज से अफगाहों को फ़ैलाने का काम आसान हो जाता है .ज़्यादातर फेक आई डीज कुछ पडोसी देशों से संचालित की जा रही हैं , इन आई डीज का इस्तेमाल कुछ विशेष धर्मों के पर्चार के लिए किया जा रहा है .अपने देश में भी बहुत सी लड़कियां अपनी असली आई डी पर किसी और की फोटो लगा कर लोगों को बेवकूफ बना रही हैं ,यहाँ तक लड़कियों की कुछ आई डीज तो लड़कों ने मज़ा लेने के लिए कहीं से भी सुंदर लड़की की फोटो चुरा कर बना रखी हैं क़ानून के अनुसार ऐसी आई डी बनाना अपराध की श्रेणी में आता है ,दक्षिण भारत की कुछ अभिनेत्रिओं फोटो लगी हुई कुछ फेक आई डीज फेसबुक पर मौजूद हैं हिंदी भाषी लोगों को इन अभीनेत्रिओं की पहचान नहीं है इस लिए ज़्यादातर लोग आसानी से बेबकूफ बन जाते हैं, ऐसी फेक आई डीज की पहचान गूगल इमेज सर्च द्वारा आसानी से पहचान की जा सकती है ,आप को अगर शक हो कि आई डी फेक हो सकती है तो आप गूगल इमेज सर्च पर तस्वीर का यूआरएल पेस्ट करके सर्च करेंगे तो नतीजे आपके सामने आ जायेंगे ,आपको पता चल जायेगा कि फोटो किस वेबसाइट से उड़ाई गयी है. पडोसी देशों से संभधित ज़्यादातर आई डीज फेक हैं. यह लड़कीयां आसानी से किसी की भी फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती हैं फिर उसे फेसबुक ग्रुप के मेम्बर बनाने लगती है , यह ग्रुप किसी ख़ास प्रचार के लिए बनाये गए होते हैं इस तरीके से अफ्गाहें फ़ैलाने आसान होता है. ऐसी बहुत सी आई डीज हमारे अपने देश से भी विभिन्न लोग संचालित कर रहे हैं. हाल ही में जो पंजाब के हालात संवेदनशील बने हैं उनके पीछे भी सोशल मीडिया और फेसबुक के दुरपयोग की बाते सामने आ रही हैं कुछ लोग तो इतने शातिर हैं कि उन्होंने राजनैतिक नेताओं की भी फेक आई.डी.बना रखी है चंडीगढ़ से संबद्धित एक ऑनलाइन प्रसाद बेचने वाली नई कम्पनी ने कुछ समय पहले तिष्ठा बांसल नाम से फेक आई.डी बना रखी थी लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए फेक तस्वीर लगा दी , बाद में यह फेक आई.डी. तो फेस बुक से गायब हो गई लेकिन यह तस्वीर फेसबुक और कुछ अन्य साइट्स पर आज भी नए नए नामों से उपलब्द्ध है. सुखबीर बादल की एक नकली लग रही फेसबुक आई.डी के सम्बंद्ध में उन्हें भी ईमेल किया गया है। इस संबंध में फेसबुक यूजर बीजेपी फरीदकोट के जिला मीडिया कन्वीनर दीपक गर्ग ने जानकारी देते हुए कहा है कि भारत सरकार को इस बात को गंभीरता से लेते हुए इस सम्बन्ध में उचित कदम उठाने चाहिए. भारत के देवी देवताओं के नाम पर बनी हुई बहुत सी फेक आई डीज भी फेस बुक पर मौजूद हैं. कुछ वी आई पी लोगों की तो कई कई आई डीज फेसबुक पर मौजूद हैं के कोई तै नहीं कर पा रहा है कि इसमें से असली आई डी कौन सी है। श्री गर्ग ने 28 अक्टूबर को भारत आ रहे फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से भी निवेदन किया है कि फेसबुक को फेक बुक बनने से रोकने के लिए विशेष कदम उठाये जाएँ साथ ही फेसबुक पर बनी हुई सभी फेक आई डीज को हटाया जाये
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