‘आज मोहब्बत बंद है’ गीत फिजा में गूंज रहा है जबकि ‘कल भारत बंद था’। भारत बंद होने पर मोहब्बत पर तो अपने आप ही लॉक लग जाएगा। गीत का सकारात्मक संदेश है कि मोहब्बत बंद हो सकती है लेकिन हिंसा, रक्तपात, खून खराबा, मारपीटी शुरू होने के बजाय महंगाई बंद होनी चाहिए। इसके विपरीत भारत बंद हुआ क्योंकि महंगाई ने नंगपना मचा रखा है, जिसमें नाच देखने वालों और नाचने वालों में नेताओं के शागिर्द होते हैं। इन्हें आप भाईजी, गुंडे, बाउंसर, सक्रिय कार्यकर्ता इत्यादि नामों से पहचानते हैं। बहरहाल, सच्चाई यह है कि धरती का आधार प्रेम है। प्रेम से ताकतवर कुछ नहीं है। प्रेम के बिना झगड़े भी नहीं है। किसी से प्रेम होगा तो किसी से उसी प्रेम के लिए झगड़ा भी होगा। यही इस सृष्टि का सनातन सत्य है।
भारत बंद महंगाई रूपी बुराई को हटाने के लिए प्रेम का शक्ति प्रदर्शन है। महात्मा गांधी ने अनशन का रास्ता अपनाया। बे-सत्ता वालों ने भारत बंद का। भारत बंद के लिए किसी भारत घर की व्यवस्था नहीं है। काले धन की तरह इसे किसी विदेशी भूमि पर बंधक नहीं बनाया जा सकता है। चिडि़याघर काफी लंबे चौड़े होते हैं लेकिन उसमें से चिडि़यों को बाहर निकालें, तब भारत को बंद करने की सोचें। परंतु चिडि़याएं कौओं के लिए अपना घर खाली करने से रहीं। व्यंग्यकार का कवि मन कह रहा है कि वे प्रतीक तौर पर भारत बंद का शोर मचाते हैं। करते तो हों दुकानें बंद, मार्केट बंद, आफिस बंद, यातायात बंद, सिनेमा हाल बंद और चिल्लाते हैं कि कर दिया भारत बंद। माना कि भारत दुकानों में बसता है और दुकानों में सर्वसुखदायक करेंसी नोट। न्यू मीडिया पर अभी सरकार का ही बस नहीं चल रहा है। जबकि सरकार ने घोषणा कर दी है कि ‘न्यू मीडिया’ को बंद करने के लिए वे तत्पर हैं। अच्छी चीजें बंद और बुरी रखें खुली।
भारत, भारत न हुआ कोई गुनहगार हो गया या दिल्ली ने जुर्म किया है, इसे तुरंत हिरासत में बंद कर दो। पेट्रोल के रेट कैसे बढ़ाए, सीएनजी के रेट क्यों बढ़ाए, डीजल में कीमतों का तड़का क्यूं लगाया, कीमतों को बंद नहीं करके रखा इसलिए भारत या राजधानी दिल्ली को तो बंद होना ही होगा। बंद करना है तो पुलिस के अत्याचारों, ब्यूरोक्रेसी में भ्रष्टाचार फैलाने वालों,अच्छाईयों के दुश्मनों को करो। उन पर आपका बस कहां चलता है। वहां पर तो आप सिरे से पैदल चलना शुरू कर देते हैं। भारत बंद का शोर मचाते हैं और बुरे विचारों पर लगाम नहीं लगा पाते। दिल्ली बंद करते हैं परंतु दिल में से काले धन और कोयले के साक्षात दीदार हो रहे हैं।
सचमुच में बंद करने का इतना ही मन है तो कन्या भ्रूण हत्या को करो, प्रसव पूर्व लिंग जांच को करो, मिलावटी दवाईयों को करो, क्या आप नहीं जानते कि एक चूहे को चूहेदानी में बंद करने के लिए भी कितनी मशक्कत करनी होती है। भारत बंद करने का आशय देश की सक्रियता को किडनैप करके देश को नुकसान पहुंचाने से है। मैं तो नहीं चाहता कि बंद रूपी ग्रहण का वायरस मोहब्बत या भारत को लगे, महंगाई को यह कैंसर की मानिंद जकड़ लें, आप भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे हैं क्या ?
el sarthak post! sahi kaha band karna he to aur bahut kuch he band karne ko sivaye is natak ke!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने ऐसा लगता है कि भारत कोई मुजरिम है जिसे बार बार बंद कर दिया जाता है ।
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