महंगाई की तरफदारी का मंत्र : आई नेक्‍स्‍ट 4 सितम्‍बर 2012 के स्‍तंभ 'खूब कही' में प्रकाशित


यहां पर क्लिक करेंगे तब भी महंगाई मिलेगी किंतु आप सुरक्षित रहेंगे


महंगाई की तरफदारी करना एक मंत्री के लिए इस कदर फायदे की डील रही कि उसकी टीआरपी में खूबसूरत इजाफा हो गया है। जबकि वे अपना नंगपना देखकर खुद ही अचंभे में हैं। जिसे देखो आज नंगई प्रभाव के चलते दूसरे के कम, अपने कपड़े उतारने के लिए लालायित है। पब्लिक को जनवाने यानी पहचान बनाने के लिए कर्म करना और अंटशंट बकने से भी परहेज नहीं किया जाता है। वे सब कुछ सहन कर सकते हैं किंतु वोटों में गिरावट के सूचकांक को ख्‍वाबों में भी नहीं गिरने देना चाहते हैं।
‘मैंने महंगाई की शान में दो मीठे कसीदे क्‍या पढ़ दिए, सब करेले और नीम के रस की कड़वाहट लेकर मुझे हटाने में जुट गए हैं। मेरे वचनों को बड़बोलापन की संज्ञा दी जा रही है।‘ किस्‍सा कोताह यह है कि उन्‍होंने महंगाई की नंगाई की तारीफ की है इसलिए मीडिया समेत सभी उनके कपड़े फाड़ने पर उतारू हैं। संपादक, लेखक और कार्टूनकार अपनी-अपनी कलम और कूंची लेकर उनका मुंह काला करने और साख कलम करने के लिए मुस्‍तैद हो गए हैं।
पहले उनके एक अन्‍य सहयोगी ने कड़ी मेहनत करने वालों के लिए थोड़ी-बहुत चोरी की वकालत क्‍या कर दी, मानो सारे जहान ने ही भाई के विरोध में मोर्चा खोल लिया। इससे जाहिर है कि किसी को भी दूसरे की खुशी रास नहीं आती है। जबकि इससे चोरी करने वालों का हौसला बुलंद हुआ होगा और उन्‍होंने और अधिक मेहनत करने की ठान ली होगी। सो इन्‍होंने यह कह दिया कि जो किसान सब्जियों, दालों इत्‍यादि की उपज के लिए जिम्‍मेदार है, वही उसका लाभ लेते हैं इसलिए महंगाई का तेजी से बढ़ना किसानहित में है, मैं इसकी सफलता की कामना कर रहा हूं। जबकि वे यह अच्‍छी तरह जानते हैं कि इससे किसान को कम, दलालों को अधिक लाभ हो रहा है।
अब उनके बयान पर किसान उनका कुछ भी बिगाड़ पाने से रहे परंतु दलालों के खिलाफ बोलते तो दलाल उनका मुंह काला और गाल लाल करके भी नहीं छोड़ते। मान लो, किसान सब्जियों और दालों का उत्‍पादन ही नहीं करे, फिर दलालों को लाभ कैसे मिलेगा, इसलिए खाद्य वस्‍तुओं की महंगाई से जो लाभ हो रहा है, वह किसान के खाते में ही माना जाएगा। चाहे लौकिक रूप से वह दलाल की जेब में जा रहा है इसलिए दलाल किसान का भगवान है जो उसे जीवनदान दे रहा है और बदले में खूब सारा लाभ ले रहा है। फिर जान है तो जहान है और जहान है तो दलाल है।
न जाने क्‍यों बवाल मच रहा है। वे मंत्री हैं और मंत्री को प्रत्‍येक तरह के मंत्र फूंकने का अधिकार है। आज नहीं तो कल जब मध्‍यस्‍थों को बीच में से हटा दिया जाएगा और मल्‍टीनेशनल कंपनियां किसानों से डायरेक्‍ट डील करेंगी तब किसानों को जरूर अधिक पैसा मिलेगा। उम्‍मीद पर दुनिया कायम है और आप उम्‍मीदों को पंख लगाना तो दूर रहा, उन्‍हें नोचने जैसा निर्दयी कार्य कर रहे हैं।
गलती सारी पब्लिक की है जो भैंस के समान विराट दिमाग वालों को चुनकर देश रूपी वाहन को चलाने के लिए भेज देती है और लाईसेंस भी चैक नहीं करती। इसकी असली कसूरवार पब्लिक ही हुई, जो सब जानती है, जो उनको वोट देकर चुनती है, जो बाद में सिर अपना ही धुनती है। कहीं आप यह सब पढ़कर अपना सिर धुनने में निमग्‍न तो नहीं हो गए हैं ?

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