होशियारी का हेलीकॉप्‍टर : दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स 19 फरवरी 2013 के 'उलटबांसी' में प्रकाशित



होशियारी का हेलीकाप्‍टर क्रैश हो गया है।  हैश्‍के, हेलीकाप्‍टर और हार्ड डिस्‍क क्रम कोई भी रहे पर इस त्रिवेणी के संगम ने गमसंग कर दिया है। गमसंग करना ही हेलीकाप्‍टर सौदे की उलटबांसी है। पानी के महाकुंभ की अनहोनी सब जानते हैं। हेलीकाप्‍टर के मामले में करोड़ों की दलाली से घोटाले के हवाईकुंभीय तेवर सामने आए हैं। इस मामले को यूं तो दबाने की कोशिशें की जा रही हैं पर इंधन अभी बाकी है इसलिए हेलीकाप्‍टर की उड़ान रोकी नहीं जा सकी है। धन समेटने के फेर में इंधन पूरी तरह खर्च न हो पाना, इस सौदे की बुराई बनकर सामने है। सामान्‍यत: कंप्‍यूटर की हार्ड डिस्‍क यूं तो फाइलें चट से हजम कर लेती है पर इस मामले में उसका पेट खराब होने से लक्‍कड़ पत्‍थर हजम नहीं हो पाया। उन्‍हीं पत्‍थरों से अब हैश्‍के और उसके साथियों की हजामत बन रही है।
हेलीकाप्‍टर चिंतित नहीं है और न चिंतित है हार्ड डिस्‍क। जो चिंता और चिंतन में जुटे हैं उन्‍हें सब जानते पहचानते हैं, जो नहीं पहचाने गए हैं, उन्‍हें पहचानने की प्रक्रिया जोरों पर है। आखिर मामला 360 करोड़ रुपये से अधिक धन की दलाली का है। इससे देश के तेजी से हो रहे विकास की झलक मिलती है। दो, चार या दस करोड़ के घोटाले सुनकर गर्वित होने के दिन बीते रे भैया, अब हेलीकाप्‍टर युग आयो रे।
विकास की धीमी रफ्तार से जो शर्मिन्‍दा रहे हों, उनक लिए अब गर्व करने का समय है। ‘बवाले हेलीकाप्‍टर उबाले घोटाला’ बनकर सामने है। ‘ह’ अक्षर का रुतबा ही तो है कि जिसकी वजह से  नई त्रिवेणी हैश्‍के, हेलीकाप्‍टर और हार्ड डिस्‍क चर्चा में बने हैं। सारी सुर्खियां सिर्फ कंप्‍यूटर के खाते में ही क्‍यों जाएं, इसलिए हार्ड डिस्‍क ने मिटाए गए राज उगलने की घोषणा कर दी है।  
ह अक्षर से हंसने वाले दिन अब बीत गए हैं। अ से अनार और आ से आम भी अब न तो चर्चा में हैं और न स्‍कूलों में पढ़ाए जा रहे हैं। नई वर्णमाला और पढ़ाई का ककहरा विकसित हो रहा है। नर्सरी में दाखिले के जितने पेचोखम हैं, सब आजमाए जा रहे हैं। कल्‍पना की जा सकती है कि निकट भविष्‍य में घोटाले पाठ्यक्रम का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बनेंगे और जिनमें उत्‍तीर्ण होना सफलता का एक नया मानदंड बनेगा। अ से अमिताभ और आ से आलू .... जो भी कुछ भी वर्णमाला में जोड़ लो पर खुश रहने के लिए ह से हंसना जीवन में बचा रहने दो द वाले दलालों। ह से हथियार, ह से हाहाकार, ह से होनोलुलू और ह से हिम्‍मत नहीं ... अब ह की ताजा जुगत सुर्खियों में छाई है, यूं ही तो नहीं बेवजह बारिश आई है। किसी के रोने की कीमत पर हंसना बंद करो जालिमों, माना कि नशेमन पर तुम्‍हारा ही कब्‍जा है। पर यह मत भूलो कि चतुराई से चहकने वालों के दिन लद गए हैं। ह से हुलसो मत, हंसना जीवन में बहुत जरूरी है। संभल जाओ कि ह वाला हाथ अब कमजोर पड़ रहा है। पब्लिक की मजबूती के दिनों ने फिर से पंख खोल लिए हैं, उनकी उड़ान कुलांचे भरने वाली है। आ रही जो होली है, उसे मत समझो कि दीवाली है।

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