पीएम पद की मिठाई खाने की लालसा : दैनिक जनवाणी 26 फरवरी 2013 स्‍तंभ 'तीखी नज़र' में प्रकाशित


चोर पुलिस का खेल चल रहा है। एक बच्‍चे ने जिद की है कि वह तो पुलिस बनेगा। चोर बनकर तो अपनी सारी कलाबाजियां दिखला चुका है। अब उसे पुलिस बनकर भाग्‍य आजमाने दो। वह पुलिस बन जाता है और खूब कहर ढाता है। सारे चोर यानी चोर बने बच्‍चे बिखर जाते हैंखेल बंद हो जाता है। अब खेल के खेल में हालत यह हो गई है कि सब पुलिस ही बनना चाहते हैंचोर तलाशने से भी नहीं मिल रहे हैं। जबकि सारे चोर हैं और मुखौटों का वर्चस्‍व है।
पीएम की कुर्सी खाली नहीं हैकोई शख्‍स उस पर चुपचाप कब्‍जा जमाए बैठा है। वह मन में लड्डू फोड़ रहा है कि इस बार पीएम बनने का मौका एक जवान को दूंगा। जवान मन ही मन मान बैठा है कि वही भविष्‍य का पीएम बन सकता है। दूसरे काम करते हुए भी उसकी निगाहें कुर्सी पर हैं। वह कुर्सी पर बैठने के चक्‍कर में घोड़ी पर भी नहीं बैठ रहा है। कहीं इधर वह घोड़ी पर बैठाउधर कुर्सी पर कोई और बैठ गया तो घोड़ी पर बिना सवारी किए घूमने का आनंद लिया जा सकता है, पर एक बार कुर्सी न मिली तो सारा खेल बिखर जाएगा। वह कुर्सी को अपने लिए हकीकत मान आत्‍ममुग्‍ध है, उसकी आत्‍ममुग्‍धता परवान पर है।
चोर पुलिस का खेल नेपथ्‍य में पहुंच गया है। अब पीएम की कुर्सी के चारों ओर गहमागहमी मच चुकी है। जिनसे अपने घर की कुर्सियां भी छीन ली गई हैंवह भी घर से बाहर निकल आए हैं। वे सब चिल्‍ला रहे हैं,चीख पुकार मची हुई है। यह चीख पुकार आतंक की नहीं है। पर उनके पीएम बनते ही जरूर आतंक फैलेगा। पब्लिक इससे परिचित है पर वह मजबूर है .मजबूर पब्लिक मजदूर के माफिक है। वह उनके हित में अपने वोट को हिट करेगीइसे सब जानते हैं। बिना वोट के पीएम की कुर्सी पर बैठने की कवायद तेज है।
कुर्सी के खेल में कोई गोदी से उतर आता हैकोई अपनी माया दिखलाता हैकोई यूं ही डींगें हांक रहा है,मतलब सब एक कुर्सी को अपनी पूरी ताकत से अपनी ओर खींचने में जुट गए हैं। देश यह देखने में इतना बिजी हो गया है कि देश के शरीर में कहीं पीड़ा हो रही हैपीड़ा उन जख्‍मों में है जो उसे अभी ताजा-ताजा लगे हैं। जख्‍म मौसमी हैं पर उनके लिए बजट तैयार किया जा रहा है। इस बीच नींद आनी स्‍वाभाविक है। माया से अभिभूत एक नेत्री नींद में है। दिन में सोते हुए सपनों में निमग्‍न हैं। नींद में वह बड़बड़ा भी रही है। उनका बड़बड़ाना लालकिले पर पीएम के भाषण के माफिक है। नींद में दिए गए भाषण और उसकी नींद पूरी तरह से सुर्खियों में है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड्स वाले इस घटना को शामिल करने की औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। यह देख समझकर वे खूब खुश हैंदेश भी खुश हैउनके मातहत भी खुश हैं। चारों ओर से खुशी फूट-फूट कर रिसायमान है।
कोई नहीं चाह रहा है कि यह मायावी तिलिस्‍म टूटे। इसे सपनों की पीएम बने रहने दो। सपनों में ही लालकिले पर भाषण करने दो। उधर कोई पीएम की गोदी में उचककर बैठने को आतुर है। कयास लग रहे हैं कि पीएम तो वही बनेंगे पर पीएम की कुर्सी पहले खाली तो हो !
पीएम न बनने के दुख पर सब चुप हैंकोई दुखी नहीं होना चाहता। पीएम बनने के सुख सबकी आंखों में स्‍वप्‍न की चमक को निखार रहे हैं। इस कुर्सी को हथियाने के लिए न जाने कितना सहना पड़ता हैसहकर भी चुप रहना पड़ता हैपर पीएम बनने की भूख है कि मिटती नहीं । पीएम का पद पकवान सरीखा है जबकि यह वह जलेबी नहीं है जो सीधी हो। सीधी जलेबियां राजनीति में तो मिलती नहीं हैं। सब खीर खाना चाहते हैंएक साथ टूट भी पड़ते हैं पर जिस बरतन पर वे एक साथ भूखों की तरह लारातुर हैंवह रसमलाई है। खीर पर एक चौकस बिल्‍ली की नजर हैवह उसे अपने जवान होते बच्‍चे को खिलाएगी। उसने सारे जोड़-तोड़ और जुगाड़ बिठा लिए हैं।

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