गर्ल फ्रेंड का जिक्र आने पर जिनकी बांछें खिल जाती हैं वे कई गुणा हैं, उनके चेहरे पर खुशी लाने के लिए पचास करोड़ रुपये उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। पचास रुपये मिलने पर खुश होने वाले भी इस देश में करोड़ों हैं। उनकी मासूमियत के चर्चे फिजाओं को गुल गुलशन गुलजार कर रहे हैं। गुलगुलों से परहेज करने वाले पेट भर कर गुल खा रहे हैं और खिला रहे हैं। अपनी बीवी को अनमोल बतलाकर उन्होंने जमाने भर की बीवियों पर प्राइज टैग चस्पा कर दिया है। बीवी अपने खाविंद के लिए सदा से अनमोल है, कितने ही पतियों के लिए उनकी बीवियां दुधारू गाय की मानिंद हैं, वे जब चाहते हैं दुह लेते हैं। बीवी का मायका मालदार हो और बीवी सीधी गाय, तब समझो पतियों की रोजाना मौज़ है। सीधी गाय के सींग मारने का रिस्क नहीं है, वह दहेज के नाम पर दुहे जाते समय पूंछ नहीं फटकारती। अपनी नाराजगी जतलाने के लिए लात चलाने की सोचना भी उसके लिए पाप है। ऐसी बीवियां अनमोल होती हैं इसमें तनिक भी अतिरंजना नहीं है।
बीवी की अनमोलियत के जितने किस्से फिल्मी गीतों में गाए गए हैं, उतने गर्ल फ्रेंड के नहीं। जिसकी बीवी मोटी, छोटी, लंबी, ऊंची चाहे कैसी भी हो, उसका बड़ा नाम है, आज पूरी शिद्दत से यह अहसास हो रहा है। बीवी की महानता की बाबत सदी के महानायक बिग बी ने अपने एक गीत में खूब शौर्यगान किया है। मायके के मायाजाल से ग्रसित हों और माल का जलवा भरपूर हो तो कहा गया है कि सोने में सुहागा वाली परम स्थिति दामाद को प्राप्त होती है। दस पचास हजार एकड़ भूमि या दो पांच फार्म हाउस मिलना दामाद के मौलिक अधिकारों की श्रेणी में आ जाता है।
अपनी बीवी को अनमोल बतलाकर जमाने भर के पतियों और उनकी पत्नियों से बैर मोल लेकर उन्होंने बर्र के छत्ते में हाथ देने का अपराध कर दिया है। मानो कहना चाह रहे हैं कि दूसरे की बीवी तोलकर मिल रही है और उन सब पर कीमत की चिप्पी चिपकी हुई है। बहरहाल, बच्चन साहब ने हर तरह की बीवी का गुणगान ही किया है। जैसे बीवी गुणों की खान होती है वैसे ही कोयले की खदान होती है जिसमें काले होने के बावजूद खूब तमाम गुण समाए हैं। खान खोदने का मौका जिसे मिल जाए, उसकी झोली स्वर्ण मुद्राओं की खनखनाहट से लबालब भर जाएगी, न कि खाली टीन कनस्तर के माफिक गला फाड़ कर चिल्लाएगी। बिगड़ने वाले तो अपनी भैंस को डंडा मारने पर बिफर जाते हैं। किसी गैर की बीवी के मर्द की क्या मजाल कि जमाने भर के पतियों की बीवियों का मोल लगाने की जुर्रत करे। नारी के विरुद्ध आरी चलाने की गुस्ताखी का यह मामला सामाजिक नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है, आप समझ रहे हैं न ?
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