आप पैदल चलना जानते हैं और आपके पास लाइसेंस नहीं है तो सावधान हो जाइए। दिल्ली में पैदल चलने वालों के लिए लाइसेंस अनिवार्य होने वाला है। बहरहाल, शुरूआत में एक वर्ष की अवधि के लिए इस लाइसेंस की कीमत सिर्फ एक सौ रुपये सालाना रखी जाएगी। यह लाइसेंस सबको एक ही कीमत पर मिलेगा, मतलब बूढ़े, बच्चे, जवान हों या बीमार सबको एक ही तराजू पर तोला जाएगा। तोलने का यह कार्य नगर निगम करेगी। इसके आरंभिक दौर में अभी घोड़े, घोडि़यों, बग्घियों पर एकमुश्त चार हजार रुपये वसूले जाने की योजना तैयार है और बस लागू होने ही वाली है। इस योजना का अगला चरण पैदल चलने वालों की जेब पर रखा जाएगा। इसके बाद साईकिल चालकों के लिए भी लाइसेंस लेना अनिवार्य किया जा रहा है। इसके लिए मात्र पांच सौ रुपये का खर्च आएगा और लर्निंग लाइसेंस के लिए सिर्फ एक महीने के लिए एकमुश्त दस रुपये ही चुकाने होंगे और सिर पर लालरंग से चिन्हित ‘एल’ लगाने के लिए एक विशेष टोपी पहननी होगी। नगर निगम की एक चहेती कंपनी ऐसी पांच टोपियां 250 रुपये में मुहैया करवाने के लिए तैयार हो गई है।
अभी तक सिर्फ रिक्शे पर लाइसेंस जरूरी था, लेकिन नए निर्णय में रिक्शा चालकों को भी लाइसेंस लेना होगा और यह व्यवसायिक श्रेणी में जारी किए जाएंगे जिनका सालाना शुल्क एक हजार रुपये होगा। निगम सोच रही है कि इससे रिक्शों की संख्या में कमी आएगी और भीड़ भरी सड़कों पर यातायात का संचालन सुचारू रूप से हो सकेगा। पांच बरस तक के बच्चों को पैदल चलने के लाइसेंस से छूट रहेगी बशर्ते कि वे दस वर्ष या उससे अधिक की आयु के किसी अभिभावक के साथ पैदल चल रहे हों। जो बच्चे अकेले घूमते पाए जाएंगे उन्हें निगम जब्त कर लेगी और छोड़ने के लिए एक सौ रुपये का जुर्माना वसूलेगी। दो घंटे से अधिक देरी से अपने बच्चों को लेने आने वाले अभिभावकों से 500 रुपये उनकी खुराक के नाम पर वसूल किए जाएंगे। चाहे बच्चे को निगम की ओर से एक अदद टॉफी भी न दी गई हो।
निगम के इस अभूतपूर्व कदम की वित्त मंत्री ने प्रशंसा की है और गृह मंत्री ने विश्वास जताया है कि इससे बच्चों के खोने की घटनाओं में कमी आएगी क्योंकि जब बच्चे को अकेला छोड़ा ही नहीं जाएगा तो उनके खोने का तो सवाल ही बेमानी है। इससे पुलिस पर भी बोझ कम होगा किंतु उन्होंने जुर्माना वसूलने के लिए लगाए जाने वाले पुलिसकर्मियों के कार्य के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे ऐसा लगता है कि उन्हें अपने पुलिसकर्मियों पर भरोसा है कि वे अपने चाय-पानी का खर्च इससे खुद ही निकालने में कामयाब हो जाएंगे।
इसके अनूठी योजना के सफल होने के बाद आवारा जानवरों के पैदल चलने पर इस प्रक्रिया को व्यवहार में लाया जाएगा। जिससे सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने पर लगाम लग सके और कुत्तों के इंसानों को काटने की घटनाएं में कमी आए। अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आवारा पशुओं को पकड़ने पर जुर्माना कौन देगा, हो सकता है कि इसे पुलिस और निगम के विवेक पर छोड़ दिया जाए और वे आजाद हों कि इसके लिए वे राह चलते किसी को भी पकड़ उस पर आरोप मढ़कर वसूली कर सकते हैं। अभी पक्षियों के उड़ने और चलने के संबंध में और कौवों इत्यादि के शोर मचाने पर भी राजस्व वसूलने की कई योजनाएं विचाराधीन हैं। देश को खुशहाली की राह पर ले जाने वाले इन कदमों में भरपूर दम है, इसलिए इसके विरोध किए जाने का कोई समाचार अभी तक नहीं मिला है।
चार साल पहले दिल्ली की सीएम ने पैदल चलने वालों पर चलते समय सतर्क रहने के लिए उपदेश झाड़ा था। कयास लगाया जा रहा है कि यह उसी आदेश की अगली कड़ी है। आपके पास भी इसे अमली जामा पहनाने और देश को विकास की ओर ले जाने के कई सूत्र होंगे तो देर किस बात की, आप भी ऐसे मशविरों को सरकारहित में साझा कीजिए और देशभक्त सिद्ध होने का मौका मत गंवाइए ?
सटीक व्यंग्य अविनाश भाई , एकदम करारा
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अजय भाई
हटाएंएक जमाने में जब कहा जाता रहा होगा कि आने वाले वक्त में पानी बिकेगा तो लोग उसी तरह हँसते रहे होंगे जैसे आज इस बात पर हस रहे है !
जवाब देंहटाएंवैसे क्या जरूरी था ऐसा धाँसू आइडिया, इस पैसे की भूखी सरकार को देना ? :)
हटाएंसपाट और सन्नाट, बीमा भी कर दें तो लोग टैक्स दे देंगे।
जवाब देंहटाएं