बॉर्डर पर किरपा बरसाओ बाबा : दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स स्‍तंभ 'उलटबांसी' 29 जनवरी 2013 में प्रकाशित


भारतीय बॉर्डर पर कलम का भयावह असर दीख रहा है। कलम के हिमायती और प्रशंसक भारत में हैं और हमारे सैनिकों के सिर कलम करना पड़ोसी देश की नापाक आदत बन गई है। जिस तरह दिल्‍ली में दुष्‍कर्म के आरोपियों के लिए फांसी की सजा की सलाह दी गई है, चाहे मानी नहीं गई। उसी तरह पड़ोसी देश के सैनिकों की इस घृणित हरकत के लिए उनके सैनिकों के सिर कलम करने के लिए मांग जोरों पर है। परंतु जिस तरह वे आवाजें सत्‍ता तक  पहुंच कर भी नहीं पहुंच रही थींवही हश्र इन आवाजों का भी हो रहा है। विपक्ष की एक नेत्री ने पड़ोसी देश के दस सिर की कलम करने की मंशा प्रकट की है, मानो वे उससे एक नए रावण को जन्‍म देना चाहती हों।

माना कि इस मसले पर पीएम का चुप्‍पी तोडना एक बम फोड़ने के बराबर है परंतु क्‍या इसे अंतिम उपाय मानकर अब भारत की पब्लिक चुप्‍पी साध ले।  इससे तो ढोलक यूं ही बजती रहेगी। ढोल की पोल भी यही है। इस मसले को लेकर मैं निर्मल बाबा की सभा में दो हजार रुपये उनके खाते में जमा करवा कर पहुंच गया। मान लिया कि यह खर्च देशहित में मैंने किया है और मेरे मन को तसल्‍ली हो गई।

नंबर पहले से तय था परंतु न तो सवाल तय था और न जवाब। मैंने उसूल के मुताबिकबाबा के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम कियामुझे खुशी हुई कि मात्र दो हजार खर्च करने पर प्रणाम करोड़ों की संख्‍या में किए जा सकते थेजाहिर है इस सौदेबाजी में नफा ही हुआ, सिर्फ दो हजार में करोड़ों प्रणाम स्‍वीकारे गए और बोनस में प्रश्‍न के उत्‍तर मिले। मैंने निवेदन किया कि  ‘निर्मल बाबापड़ोसी देश के सैनिक बॉर्डर से हमारे सैनिकों के सिर कलम करके के ले जा रहे हैं। ऐसा तो नहीं है कि पड़ोसी देश हमारे नेताओं पर काला जादू करने की फिराक में हों और क्‍या अपना मुल्‍क इस दुर्दांत घटना पर कुछ अच्‍छा करेगा।‘  बाबा ने आदत के अनुसार प्रश्‍न दाग दिया कि ‘कभी पड़ोसी देश गए हो’,मैंने बताया कि ‘बाबा मैंने पासपोर्ट ही नहीं बनवाया है।‘  ठीक है’ बाबा ने पीएम वाले स्‍टाइल में कहा ओर उपस्थित जन समुदाय हंस पड़ा। ‘एक बात तो यह जान लो कि काले जादू पर सिर्फ बंगालियों का हक हैदूसरा बॉर्डर पर जाकर अगर पीएम सेब के जूस में अनार का जूस मिलाकर सैनिकों को पिलाएं तो हमारे सैनिकों पर किरपा बरस सकती है।‘  ‘लेकिन बाबा ...’ कहने पर बाबा ने कहा कि ‘तुमने दो हजार रुपए ही दिए हैं इसलिए सिर्फ एक उपाय ही बतलाऊंगाऔर उसे ही तुम्‍हें अपनाना होगाइसमें और कोई च्‍वाइस नहीं है।‘ मुझे मानना पड़ा कि बाबा के यूं ही लाखों चाहने वाले नहीं हैंजो दो-दो हजार रुपये और अपनी आय का दसबंध देकर बाबा की किरपा रूपी तमाशे का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही बाबा अब अन्‍य किसी भक्‍त का प्रश्‍न सुनकर उन पर किरपा बरसाने में बिजी हो गए थे। क्‍या कर सकते हैं आखिर किरपा बरसाने का धंधा ही ऐसा है ?

1 टिप्पणी:

ऐसी कोई मंशा नहीं है कि आपकी क्रियाए-प्रतिक्रियाएं न मिलें परंतु न मालूम कैसे शब्‍द पुष्टिकरण word verification सक्रिय रह गया। दोष मेरा है लेकिन अब शब्‍द पुष्टिकरण को निष्क्रिय कर दिया है। टिप्‍पणी में सच और बेबाक कहने के लिए सबका सदैव स्‍वागत है।