मौसम पीएम पीएम हो रहा है : जनसंदेश टाइम्‍स 18 दिसम्‍बर 2012 के उलटबांसी स्‍तंभ में प्रकाशित



मौसम पीएम पीएम हो रहा है। इतना धांसू कि जो मौन पीएम हैंलगता है कि इस सुगबुगाहट भरी चिंगारी से उनकी भी बोलती खुल जाएगी। जब तक किसी को खतरा नहीं महसूस होता वह चुप रहने में ही भलाई समझते और मलाई गटकते हैंकई बार ओठों पर चुपड़ भी लेते हैं। खतरा सिर पर हो तो बड़ों बड़ों के मुंह खुल जाते हैं और जोरों की चिल्‍लाहट और चीख पुकार मच जाती है। कोई राम नाम की गुहार लगाता हैकोई देशभक्ति के तराने गाता हैकोई जोर जोर से बाजे बजाता है।
वैसे यह पुकार काफी दिनों से मच रही थी, पर  चूँकि  लाउडस्‍पीकर (ध्‍वनि विस्‍तारक यंत्र) नहीं लगाया गया था,इसलिए चीख को विस्‍तार नहीं मिल रहा था। अब जब चीख को विस्‍तार मिला है तो वह बिस्‍तर से उठ खड़ी हुई है। अपने खड़े होने के चक्‍कर में उसने कितनों को बिस्‍तर पर गिरा और लिटा दिया है। जो गिरे या लेटे हैं, सोच रहे हैं कि वे आसमान में उड़ रहे हैं। कहीं मोदी मोदी की आवाज आ रही हैमानो अभी पीएम गोदी में कुर्सी के मुगालते में बैठ ही जाएंगे। कहीं मुलायम मुलायम की घटाएं छा रही हैंजैसे माखन का उत्‍पादन वहीं से होता है। कहने वाले तो राहुल राहुल भी कह रहे हैं पर सच्‍चाई यह है कि अभी पीएम की सीट वेकेंट नहीं है और न ही वीकेंड पर वेकेंट होने वाली है। फिर भी न जाने क्‍यूं अभी से इतना शोर वातावरण को प्रदूषित कर रहा हैसुषमा भी निराली और अगाड़ी हो गई है। यूं तो कोई भी सीट खाली हो तो देश में सीट की तरफ लपकने - झपटने वालों की भीड़ इकट्ठी हो जाती है। एक चपरासी की खाली कुर्सी भी कयामत ढा देती है। बाबू चाहे सरकार में हो या बैंक में – सब बेरोजगार उसी तरफ दौड़ लगाना शुरू कर देते हैंइस दौड़ने को ही तो कंपीटीशन कहते हैं। जाहिर है कि सब बाबू बेकाबू हुए जा रहे हैं। तराजू का प्रयोग बंद कर दिया गया हैसोअपना वजन सबको अधिक लग रहा है। सबसे भारी हैं वेसब उनके ही आभारी होंगे।
जमाना बाजार का भी है और ब्‍लैकमेलिंग का भीजान पहचान का भी और खुराफात का भी। माहौल इतना गरम है कि कड़ाके की सर्दी में भी तपता तवा हो रहा है जो भाप बनाकर उड़ा देता है और जो उड़ता हैवह उड़ जाता है। बहरहालपीएम पद का ताप सबको अपनी अपनी ओर खींच रहा है। सब दोनों हाथों से उलीचे जा रहे हैं लेकिन इसे खाली करने में भी सतह तक भरने का भाव भरा हुआ है। इसे कहते हैं कि खाली करो तब भी हवा तो भर ही जाती है। नतीजतनजितने भी पीएम पद के दावेदार हैंवे सब अपने भीतर हवा भरे हुए हैं और ख्‍यालों ख्‍वाबों में विचर रहे हैं पर आप क्‍यों इन्‍हें देख विलोक सुन कर कुढ़ रहे हैं कहो कैसी रही ?

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